Saturday, August 13, 2011

कोई जब दिलनशीन लगता है।


कोई जब दिलनशीन लगता है।
सारा आलम हसीन लगता है॥

उसकी सांसों से मैं महकता हूँ,
जिस्म ताज़ातरीन लगता है॥

उसकी हर-एक अदा का कायल हूँ,
मुझको वो नाजनीन लगता है॥

उसका अहसास जब भी छूता है,
ज़िन्दगी पर यकीन लगता है॥


डॉ० अनुज भदौरिया

No comments:

Post a Comment